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अश्वि॑ना॒वेह ग॑च्छतं॒ नास॑त्या॒ मा वि वे॑नतम्। ति॒रश्चि॑दर्य॒या परि॑ व॒र्तिर्या॑तमदाभ्या॒ माध्वी॒ मम॑ श्रुतं॒ हव॑म् ॥७॥

English Transliteration

aśvināv eha gacchataṁ nāsatyā mā vi venatam | tiraś cid aryayā pari vartir yātam adābhyā mādhvī mama śrutaṁ havam ||

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Pad Path

अश्वि॑नौ। आ। इ॒ह। ग॒च्छ॒त॒म्। नास॑त्या। मा। वि। वे॒न॒त॒म्। ति॒रः। चि॒त्। अ॒र्य॒ऽया। परि॑। व॒र्तिः। या॒त॒म्। अ॒दा॒भ्या॒। माध्वी॒ इति॑। मम॑। श्रु॒त॒म्। हव॑म् ॥७॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:75» Mantra:7 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:16» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को कैसे वर्त्ताव करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (नासत्या) नहीं विद्यमान असत्य व्यवहार जिनके ऐसे (अदाभ्या) नहीं हिंसा करने योग्य (माध्वी) मधुर स्वभाववाले (अश्विनौ) विद्या में व्याप्त ! आप दोनों (इह) इस संसार में (आ, गच्छतम्) आइये तथा (अर्य्यया) वैश्य या स्वामी की स्त्री से (वेनतम्) कामना करो (तिरः) तिरस्कार को (चित्) भी (मा) मत करो (वर्त्तिः) मार्ग को (परि, यातम्) सब ओर से प्राप्त होओ और (मम) मेरे (हवम्) आह्वान को (वि) विशेष करके (श्रुतम्) सुनो ॥७॥
Connotation: - हे स्त्रीपुरुषो ! आप दोनों गृहस्थ मार्ग में वर्त्ताव करके धर्म्म से सन्तान और ऐश्वर्य की इच्छा करो तथा अध्यापन और परीक्षा सदा ही करो ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः कथं वर्त्तितव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे नासत्याऽदाभ्या माध्वी अश्विनौ ! युवामिहाऽऽगच्छतमर्य्यया वेनतं तिरश्चिन्मां कुर्य्यातं वर्त्तिः परि यातं मम हवं विश्रुतम् ॥७॥

Word-Meaning: - (अश्विनौ) व्याप्तविद्यौ (आ) (इह) अस्मिन् संसारे (गच्छतम्) (नासत्या) अविद्यमानासत्यव्यवहारौ (मा) (वि) (वेनतम्) कामयतम् (तिरः) तिरस्कारम् (चित्) अपि (अर्य्यया) अर्य्यस्य स्त्रिया (परि) (वर्त्तिः) मार्गम् (यातम्) (अदाभ्या) अहिंसनीयौ (माध्वी) (मम) (श्रुतम्) (हवम्) ॥७॥
Connotation: - हे स्त्रीपुरुषौ ! युवां गृहस्थमार्गे वर्त्तित्वा धर्म्येण सन्तानानैश्वर्य्यं चेच्छतम्। अध्यापनपरीक्षे च सदैव कुर्य्यातम् ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे स्त्री-पुरुषांनो! तुम्ही गृहस्थधर्माचे पालन करून धर्माने संतानाची व ऐश्वर्याची इच्छा बाळगा. अध्यापन करा व सदैव परीक्षा करत राहा. ॥ ७ ॥